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गीत

लिखे जो ख़त तुझे/गीत/गोपालदास नीरज

लिखे जो ख़त तुझे वो तेरी याद में हज़ारों रंग के नज़ारे बन गए सवेरा जब हुआ तो फूल बन गए जो रात आई तो सितारे बन गए कोई नगमा कहीं गूँजा, कहा दिल ने के तू आई कहीं चटकी कली कोई, मैं ये समझा तू शरमाई कोई ख़ुशबू कहीं बिख़री, लगा ये ज़ुल्फ़ लहराई […]

आज मदहोश हुआ जाए रे/गीत/गोपालदास नीरज

आज मदहोश हुआ जाए रे, मेरा मन मेरा मन मेरा मन बिना ही बात मुस्कुराये रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन ओ री कली , सजा तू डोली ओ री लहर , पहना तू पायल ओ री नदी , दिखा तू दर्पण ओ री किरण ओढा तू आँचल इक जोगन हैं बनी आज […]

शोखियों में घोला जाये/गीत/गोपालदास नीरज

शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब होगा यूँ नशा जो तैयार हाँ… होगा यूँ नशा जो तैयार, वो प्यार है शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब, होगा यूँ नशा जो तैयार, वो प्यार है शोखियों में घोला जाये, फूलों […]

ओ प्यासे/गीत/गोपालदास नीरज

हर घट से अपनी प्यास बुझा मत ओ प्यासे! प्याला बदले तो मधु ही विष बन जाता है! हैं तरह-तरह के फूल धूल की बगिया में लेकिन सब ही आते पूजा के काम नहीं, कुछ में शोख़ी है, कुछ में केवल रूप रंग कुछ हँसते सुबह मगर मुस्काते शाम नहीं, दुनिया है एक नुमायश सीरत–सूरत […]

हम सब खिलौने हैं/गीत/गोपालदास नीरज

हम सब खिलौने हैं! ढीठ काल-बालक के हाथों में फूलों के बेहिसाब दौने हैं! हम सब खिलौने हैं! जन्मों के निर्दयी कुम्हार ने साँसों के चाकों पर हमको चढ़ाया है, तरह-तरह माटी ने रूंदा है जब तब यह अनूप रूप हमको मिल पाया है, सब को हम मनहर हैं, ऊपर से बहुत-बहुत सुन्दर हैं, लेकिन […]

स्वप्न झरे फूल से/गीत/गोपालदास नीरज

स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से, लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से, और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे कारवां गुज़र गया, ग़ुबार देखते रहे! नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई, पाँव जब तलक उठें कि राह रथ निकल गई, पात-पात झर गए कि शाख-शाख जल गई, फाँस […]

आ अब लौट चले/गीत/शैलेन्द्र

आ अब लौट चले आ अब लौट चले नैन बिछाए बाहें पसारे तुझको पुकारे देश तेरा आ अब लौट चले आ अब लौट चले नैन बिछाए बाहें पसारे तुझको पुकारे देश तेरा आ जा रे आ आ आ सहज है सीधी राह पे चलना देख के उल्झन बच के निकलना कोई ये चाहे माने न […]

मेरा जूता है जापानी/गीत/शैलेन्द्र

मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंगलिस्तानी सर पे लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी मेरा जूता… निकल पड़े हैं खुली सड़क पर अपना सीना ताने – मंज़िल कहाँ कहाँ रुकना है ऊपर वाला जाने – बढ़ते जायें हम सैलानी, जैसे एक दरिया तूफ़ानी सर पे लाल… ऊपर नीचे नीचे ऊपर लहर चले […]

नन्हें-मुन्ने बच्चे ! तेरी मुट्ठी में क्या है ?/गीत/शैलेन्द्र

नन्हें-मुन्ने बच्चे ! तेरी मुट्ठी में क्या है ? मुट्ठी में है तक़दीर हमारी हमने किस्मत को वश में किया है ! भोली-भाली मतवाली आँखों में क्या है ? आँखों में झूमे उम्मीदों की दीवाली आने वाली दुनिया का सपना सजा है ! भीख में जो मोती मिलें, लोगे या न लोगे ? ज़िन्दगी के […]

नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए/गीत/शैलेन्द्र

नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए बाकी जो बचा था काले चोर ले गए खाके पीके मोटे होके, चोर बैठे रेल में चोरों वाला डिब्बा कट कर, पहुँचा सीधे जेल में नानी तेरी मोरनी को … उन चोरों की ख़ूब ख़बर ली, मोटे थानेदार ने मोरों को भी खूब नचाया, जंगल की सरकार ने […]