ज़िंदगी नें आजमाया है बहुत /ग़ज़ल/अंजू केशव
ज़िंदगी नें आजमाया है बहुत सब्र नें भी पर बचाया है बहुत है जवाबों का थकन से चूर तन सर सवालों नें उठाया है बहुत एक मौक़ा हम थे सबके वास्ते और सबने ही भुनाया है बहुत आज पैरों पर खड़ा है हौसला ये भी लेकिन लड़खड़ाया है बहुत पूछते हैं लोग जब क्या हाल […]