तूफ़ानों ने कभी मात नहीं खायी/कविता/अवतार सिंह संधू ‘पाश’
हवा का रुख बदलने पर बहुत नाचे, बहुत उछले जिनके शामियाने डोल चुके थे उन्होंने ऐलान कर दिया कि पेड़ अब शान्त हो गये हैं कि अब तूफ़ानों का दम टूट चुका है – जैसे कि जानते न हों ऐलानों का तूफ़ानों पर कोई असर नहीं होता जैसे कि जानते न हों तूफ़ानों की […]