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बिहारी लाल सोनी/गीत/मनोज जैन

जिंदगी ऐसे जिओ,
जी रहे जैसे,
बिहारी लाल सोनी।
उम्र में छोटा,
बड़ा हो,
हर किसी को मान देते।
जो बुलाए,
प्रेम से उसको समय का,
दान देते।
खिलखिलाने के लिए,
सूरत मिली
इनको सलोनी।
जिंदगी ऐसे जिओ,
जी रहे जैसे,
बिहारी लाल सोनी।
अतिथि के सत्कार में,
इनका यहाँ,
कोई न सानी।
बहुत मीठा बोलते,
लाते कहाँ से?
मधुर वाणी।
चाय की इनके,
किचिन में,
चढ़ी रहती है भगोनी।
जिंदगी ऐसे जिओ,
जी रहे जैसे,
बिहारी लाल सोनी।
हाथ में ले हाथ,
सँग में घूमते,
ठुमके लगाते।
जब मिले मौका,
मगन मन मस्त खुलकर,
खिलखिलाते।
साहित्य की पिच पर,
डटे हैं,
रन बनाते लगें धोनी।
जिंदगी ऐसे जिओ,
जी रहे जैसे,
बिहारी लाल सोनी।

लेखक

  • मनोज जैन
    25, दिसम्बर,1975
    जन्म स्थान : ग्राम बामौर कला ,जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश
    शिक्षा : अंग्रेजी साहित्य में स्नात्कोत्तर, डी .एड.
    प्रकाशित कृतियाँ-
    एक बूँद हम (नवगीत संग्रह 2011)
    धूप भरकर मुट्ठियों में (नवगीत संग्रह 2021)
    बच्चे होते फूल से (बालगीत सँग्रह 2025)
    अनेक शोध सन्दर्भ ग्रन्थों में नवगीत सम्मिलित
    सोशल मीडिया के चर्चित (नवगीत पर एकाग्र साहित्यिक) समूह
     ~ ।।वागर्थ।। ~
          के संचालक
    प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का नियमित प्रकाशन
    आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से समय समय पर प्रसारण
    पता : 106 विट्ठल नगर गुफामन्दिर रोड़ लालघाटी भोपाल 462030
    9301337806

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