सुख के दिन/गीत/मनोज जैन

लेखक

  • मनोज जैन
    25, दिसम्बर,1975
    जन्म स्थान : ग्राम बामौर कला ,जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश
    शिक्षा : अंग्रेजी साहित्य में स्नात्कोत्तर, डी .एड.
    प्रकाशित कृतियाँ-
    एक बूँद हम (नवगीत संग्रह 2011)
    धूप भरकर मुट्ठियों में (नवगीत संग्रह 2021)
    बच्चे होते फूल से (बालगीत सँग्रह 2025)
    अनेक शोध सन्दर्भ ग्रन्थों में नवगीत सम्मिलित
    सोशल मीडिया के चर्चित (नवगीत पर एकाग्र साहित्यिक) समूह
     ~ ।।वागर्थ।। ~
          के संचालक
    प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का नियमित प्रकाशन
    आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से समय समय पर प्रसारण
    पता : 106 विट्ठल नगर गुफामन्दिर रोड़ लालघाटी भोपाल 462030
    9301337806

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सुख के दिन छोटे-छोटे से,
दुख के बड़े-बड़े।
सबके अपने-अपने सुख हैं,
अपने-अपने दुखड़े।
फीकी हँसी, हँसा करते हैं,
सुन्दर-सुन्दर मुखड़े।
रंक बना देते राजा को,
दुर्दिन खड़े-खड़े।
सुख के दिन छोटे-छोटे से,
दुख के बड़े-बड़े।
सबकी नियति अलग होती है,
दिशा, दशा सब मन की।
कोई यहाँ कुबेर किसी को,
चिन्ता है बस धन की।
समझा केवल वही वक़्त की,
जिस पर मार पड़े।
सुख के दिन छोटे-छोटे से,
दुख के बड़े-बड़े।
हाँ, यह तय है चक्र समय का,
है परिवर्तनकारी।
सबने भोगा सुख-दुख अपना,
चाहे हो अवतारी।
अंत नही होता कष्टों का,
जी हाँ बिना लड़े।
सुख के दिन छोटे-छोटे से,
दुख के बड़े-बड़े।
सुख के दिन/गीत/मनोज जैन

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