मेले में घूमते हुए
मैंने देखा
दुनिया के सबसे अमीर लोगों का चेहरा
कुछ ने पकड़ी थी
अपने बच्चों की उंगलियां
कुछ कंधों पर सवार थे
दुनिया के भाग्यशाली बच्चे
समय और अत्यधिक श्रम बेवक्त बूढ़े लगते कुछ चेहरों के साथ चल रहे थे बढ़ते हुए बच्चे
मेले में बिकती हर चीज को खरीदने ,
सारे झूले झूलने को उत्सुक बच्चों के माता –पिता ने
जुटाया है इतना धन
वे खरीद लेंगे
उन तमाम चीजों में से कोई एक खिलौना
खिला देंगें बच्चों को गोलगप्पे ,दिला देंगे गुड़िया के बाल ,
घूमते हुए मेले में
देखा है मैंने
खाने की चीजों से दूर खड़े पिता को
अपना मन मारकर
मन ही मन लगाते हैं घर तक लौटने का हिसाब
वे लौटते है खाली जेब से
नन्हें बच्चों के लिए एक चौड़ी मुस्कान खरीदकर
अपने बच्चों के लिए सबसे अमीर इंसान बनकर
मेले में बच्चे/कविता/पल्लवी पाण्डेय