मेरी कविता में जब तुम आते है ,
अक्षरों में आ जाती है नमी
शब्दों में भर जाती है भावुकता ,
और
पंक्तियों के मध्य प्रवाहित होने लगता है अतीत ,
जब भी मैं तुम पर लिखती हूं कोई कविता
किसी अंजान राह राह पर अकेले जाते दिखती है इस लम्बी परछाई ..
टेबल पर रखी डायरी से
निकल गए सारे शब्द
तुम्हें पुकारते हुए ….
सुनो मेरे पापा
तुम लौट आओ ।
लेखक
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पल्लवी पाण्डेय सहायक आचार्य बीडीएम गर्ल्स डिग्री कॉलेज शिकोहाबाद फिरोजाबाद परारंभिक शिक्षा – वाराणसी उच्च शिक्षा : बी ए , एम ए , पीएचडी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) एसोसिएट रिसोर्स पर्सन अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन पौड़ी गढ़वाल प्रकाशित रचनाएं –सृजन की ज़मीन (काव्य संग्रह)
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