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शहीद भगत सिंह/कविता/अवतार सिंह संधू ‘पाश’

पहला चिंतक था पंजाब का

सामाजिक संरचना पर जिसने

वैज्ञानिक नज़रिये से विचार किया था

 

पहला बौद्धि‍क

जिसने सामाजिक विषमताओं की, पीड़ा की

जड़ों तक पहचान की थी

 

पहला देशभक्‍त

जिसके मन में

समाज सुधार का

ए‍क निश्चित दृष्टिकोण था

 

पहला महान पंजाबी था वह

जिसने भावनाओं व बुद्धि के सामंजस्‍य के लिए

धुँधली मान्‍यताओं का आसरा नहीं लिया था

ऐसा पहला पंजाबी

जो देशभक्ति के प्रदर्शनकारी प्रपंच से

मुक्‍त हो सका

पंजाब की विचारधारा को उसकी देन

सांडर्स की हत्‍या

असेम्‍बली में बम फेंकने और

फॉंसी के फंदे पर लटक जाने से कहीं अधिक है

भगत सिंह ने पहली बार

पंजाब को

जंगलीपन, पहलवानी व जहालत से

ब‍ुद्धि‍वाद की ओर मोड़ा था

जिस दिन फांसी दी गयी

उसकी कोठरी में

लेनिन की किताब मिली

जिसका एक पन्‍ना मोड़ा गया था

पंजाब की जवानी को

उसके आखिरी दिन से

इस मुड़े पन्‍ने से बढ़ना है आगे

चलना है आगे

 

लेखक

  • अवतार सिंह संधू (9 सितम्बर 1950 - 23 मार्च 1988), जिन्हें सब पाश के नाम से जानते हैं पंजाबी कवि और क्रांतिकारी थे। उनका जन्म 09 सितम्बर 1950 को ग्राम तलवंडी सलेम, ज़िला जालंधर और निधन 37 साल की युवावस्था में 23 मार्च 1988 अपने गांव तलवंडी में ही हुआ था। वे गुरु नानक देव युनिवर्सिटी, अमृतसर के छात्र रहे हैं। उनकी साहित्यिक कृतियां, लौहकथा, उड्ड्दे बाजाँ मगर, साडे समियाँ विच, लड़ांगे साथी, खिल्लरे होए वर्के आदि हैं। पाश एक विद्रोही कवि थे। वे अपने निजी जीवन में बहुत बेबाक थे, और अपनी कविताओं में तो वे अपने जीवन से भी अधिक बेबाक रहे। वे घुट घुटकर, डर डरकर जीनेवालों में से बिलकुल नहीं थे। उनको सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि सबके लिए शोषण, दमन और अत्याचारों से मुक्त एक समतावादी संसार चाहिए था। यही उनका सपना था और इसके लिए आवाज़ उठाना उनकी मजबूरी थी। उनके पास कोई बीच का रास्ता नहीं था। त्रासदी यह भी कि भगतसिंह को आदर्श मानने वाले पाश को भगतसिंह के ही शहादत दिन 23 मार्च 1988 को मार दिया गया। धार्मिक कट्टरपंथ और सरकारी आतंकवाद दोनों के साथ एक ही समय लड़ने वाले पाश का वही सपना था जो भगतसिंह का था। कविताओं के लिए ही पाश को 1970 में इंदिरा गांधी सरकार ने दो साल के लिए जेल में डाला था।  

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