जिंदगी की गाड़ी बहुत तेज चल रही है।।
मौसम की तरह सबकी फितरत बदल रही है।
ग़मो की फेहरिस्त बहुत लम्बी है,
खुशियाँ तो जैसे किश्तों में मिल रही हैं।।
हमारी भावनाओं पे काबू हमारा नहीं,
ये तो दूसरों की शर्तों पे चल रही है।।
आजकल रिश्तों में मिठास कम है,
दिन रात कड़वाहट जो घुल रही है।।
कोई करता नहीं तुम्हें याद भूलकर भी,
और तुम्हें उसकी कमी दिन रात खल रही है।।
वक़्त निकालो थोड़ा जी भी लो,जिंदगी
ये वक़्त ही नहीं जिंदगी भी निकल रही है।।
नंदिनी चौहान
जिंदगी की दौड़/नंदिनी चौहान