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जब घर में बच्चे भूखे हों/चन्द्रगत भारती

हूं अगर अयोध्या का वासी
हरिद्वार नही लिख पाऊंगा
जब घर में बच्चे भूखे हों
श्रृंगार नही लिख पाऊंगा ।।

गोरखपुर के स्टेशन पर
कुछ बच्चे जीवन काट रहे
बस ढूंढ ढूंढ कर कूड़े में
खाने की पत्तल चाट रहे
मै गाली की सौगातों को
उपहार नही लिख पाऊंगा ।।

माँ सरयू के पावन तट पर
थी एक भिखारन को देखा
वह कई दिनों से भूखी थी
हाथों की देख रही रेखा
जो भूख से मरते हैं उनको
बीमार नही लिख पाऊंगा ।।

पूंजीपतियों के कर्ज माफ
जी एस टी है शमशानों पर
खा रही सियासत मालपुआ
हर गम का बोझ किसानों पर
कुछ भी हो जाये सत्ता के
अनुसार नही लिख पाऊंगा ।।

चन्द्रगत भारती

लेखक

  • चन्द्रगत भारती सम्प्रति --- पूर्व अभियन्ता आई टी आई लि. मनकापुर गोन्डा (उ.प्र.) प्रकाशन ---मेंहदी रचे हाथ, पाँव गोरे चाँदनी के, शिकस्त से फतेह की ओर, आशाओं के दीप (साझा गीत संग्रह) वह विश्व कविताकोष सहित राष्ट्रीय / अंतरराष्ट्रीय स्तर की तमाम पत्र पत्रिकाओं एवं वेब पत्रिकाओं में रचनाओं का निरन्तर प्रकाशन । प्रकाशनार्थ ---छोटुआ कै माई (काव्य-संग्रह ) संबद्धता ---" साहित्य प्रोत्साहन संस्थान" मनकापुर गोन्डा, अवध साहित्य संगम संस्थान अयोध्या ।

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