+91-9997111311,    support@sahityaratan.com

बदल दिया परिदृश्य गाँव का/राहुल द्विवेदी स्मित’

 

बदल दिया परिदृश्य गाँव का, फैशन की अंगड़ाई ने।
खेत बेंचकर पल्सर ले ली, बुद्धा और कन्हाई ने।।

मुन्नी जीन्स पहनकर घूमे, लौटन की फटफटिया पर।
सेल्फी लेती नयी बहुरिया, द्वारे बैठी खटिया पर।
लाज, शर्म, घूघट, खा डाला, इस टीवी हरजाई ने।।

धोती-कुर्ते संदूको में, धूल समय की फाँक रहे।
कोट पैंट सदरी से डींगे, ऊँची-ऊँची हाँक रहे।
सीट अंगौछे की हथिया ली, मूंछ ऐंठकर टाई ने।।

मोढ़े, मचिया, पलँग, मसहरी, चौकी अन्तर्धान हुए।
डबल बेड, सोफ़ा सेट, चेयर, टेबल घर की शान हुए।
बचा स्वयं को लिया जुगत से, गद्दे और रजाई ने।।

इमली, जामुन, महुआ, पाकड़, एक-एक कर काट दिये।
कुएँ, बावली, ताल, तलैया, पोखर सारे पाट दिये।
पछुआ से अनुबन्ध कर लिया, जाने क्यों पुरवाई ने।।

—राहुल द्विवेदी स्मित’

लेखक

  • राहुल द्विवेदी ‘स्मित’ शिक्षा -- एम.ए.,बी.एड. प्रकाशन एवं प्रसारण-- गीत संकलन: पुनः युधिष्ठिर छला गया है अनेक साझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं, ई- पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन एवं दूरदर्शन पर रचनाओं का प्रसारण। सम्मान- हरिवंशराय बच्चन युवा गीतकार सम्मान-2021 उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान विशेष-- उद्घोषक, आकाशवाणी लखनऊ (लोकायन,खेती किसानी) एवं रेडियो जंक्शन

    View all posts
बदल दिया परिदृश्य गाँव का/राहुल द्विवेदी स्मित’

एक विचार “बदल दिया परिदृश्य गाँव का/राहुल द्विवेदी स्मित’

  1. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आधुनिकता के नाम पर भदेसपन के चित्र को खींचती हुई सजीव रचना।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

×