किस किस का उपचार लिखूँ
कहाँ कहाँ किस उर के भीतर, कितने भरे विकार लिखूँ।
व्याधि ग्रस्त सब नख से शिख तक,किस किस का उपचार लिखूँ।
भक्षक सारे नज़र आ रहे, रक्षक के किरदारों में।
धर्म प्रवर्तक लगे हुए हैं, नारी के उद्धारों में।
काका मामा फूफा मौसा, मास्टर जी तक मुन्नी के,
करते सब अश्लील हरकते, पा एकांत, इशारों में।
लिखूँ कुकर्म मदरसों के या, डेरों के व्यभिचार लिखूँ।
या नाबालिग बच्चों के सँग , बढ़ते यौनाचार लिखूँ।
कहाँ कहाँ किस उर के भीतर,कितने भरे विकार लिखूँ।
काव्य मंच पर भाव बढ़ रहे, सुघड़ काव्य सुंदरियों के।
पास कई शिष्याएं हैं अब, श्रेष्ठ अधिकतर कवियों के।
कवयित्री बनने की जिनमें, हद से ज्यादा आतुरता,
स्वीकृत वे प्रस्ताव कर रहीं,अनुचित बड़ी हस्तियों के।
विपुल महत्त्वाकांक्षाओं का, मन में उठता ज्वार लिखूँ।
कौन पा रहा किसके बदले, किससे क्या उपहार लिखूं।
कहाँ कहाँ किस उर के भीतर,कितने भरे विकार लिखूँ।
गैरों की माँ बहनों पर जो, किये करेक्टर लूज रहे।
महिलाओं का उत्पीड़न कर,बस करते मिसयूज रहे।
मरीं बेटिया कई कोख में, जब ख्वाहिश में, बेटे की,
मान मनौती बेटे की तब, नौ कन्याएं पूज रहे।
पूजन,भजन,जागरण,कीर्तन, आराधन धिक्कार लिखूँ।
किसको लिखूं दिखावा किसको,कोरा मिथ्याचार लिखूँ।
कहाँ कहाँ किस उर के भीतर, कितने भरे विकार लिखूँ।
अभिव्यक्ति की खुली छूट दी,जिन्हें मूल अधिकारों में।
वे आजादी ढूंढ रहे हैं, देश विरोधी नारों में।
जो शिक्षण संस्थान चल रहे, सरकारी अनुदानों पर,
टुकड़े टुकड़े भारत होता, उनके ही गलियारों में।
क्या उनको,जो देश द्रोह का, करते खुला प्रचार लिखूँ।
यदि इनको अनुदार लिखूँ तो,फिर किसको गद्दार लिखूं।
कहाँ कहाँ किस उर के भीतर,कितने भरे विकार लिखूँ।
लेखक
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पूरा नाम - सुनील कुमार त्रिपाठी पिता का नाम - स्व. पंडित चन्द्र दत्त त्रिपाठी "शास्त्री" माता जी का नाम- स्व.रामपति त्रिपाठी जन्म तिथि - ९ अगस्त १९६८ स्थायी निवासी - ग्राम-पीरनगर पोस्ट -कमलापुर ,जिला-सीतापुर निवास जन्म से लखनऊ में- स्थानीय पता:- 288/204 आर्यनगर लखनऊ -226004
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