“हैलो… हैलो… जसविंदर पुत्र,तुझे मेरी आवाज सुन रही है?” जसविंदर की मां ने कनाडा गए हुए अपने बेटे को फोन करते हुए पूछा। “हां मां ,आवाज तो आ रही है पर मैं एक जरूरी मीटिंग में व्यस्त हूं इसलिए मैं आपके साथ शाम को बात करूंगा।” जसविंदर की मां इसके आगे कुछ बोलती उससे पहले ही जसविंदर ने फोन काट दिया। शाम चार बजे जसविंदर की मां ने फिर अपने बेटे को फोन मिलाया पर जसविंदर ने फोन न उठाया उसकी मां ने सोचा कि शायद जसविंदर दिन का थका होने के कारण सो गया होगा अगले दिन उसने फिर अपने बेटे को फोन मिलाया जसविंदर अपनी मां को यह कह कर फोन काट देता है कि मैं ऑफिस में व्यस्त हूं समय मिलने पर खुद ही फोन कर लूंगा पर जसविंदर को उसकी मां अपने मन की बात ना बता सकी। फिर दो दिन मां बेटे की फोन पर कोई बात ना हुई तीसरे दिन जसविंदर के पिता ने जसविंदर को फोन मिलाया जसविंदर उस समय ऑफिस जाने के लिए गाड़ी चला रहा था इसलिए कुछ पलों के लिए वह अपने पिता से बात करने लगा। जसविंदर के पिता ने उसको बताया कि “तेरी मां पिछले चार-पांच दिनों से बहुत ज्यादा बीमार होने के कारण अस्पताल में दाखिल है और वह तुझे बहुत याद कर रही है।”जसविंदर कहता है कि पिताजी मैं इन दिनों मैंने एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया हुआ है जिसको सफल बनाने के लिए मुझे प्रोजेक्ट को समय देना बहुत जरूरी है। मैं इंडिया डेढ़ दो महीने तक आऊंगा और कुछ पैसे में आपके खाते में ट्रांसफर कर रहा हूं। मां का इलाज अच्छी तरह से करवाइए। इतने में नर्स जसविंदर के पिता को बुलाने आ जाती है और जसविंदर के पिता अपनी पत्नी को संभालने वापस अस्पताल के कमरे में चला जाता है। पर उसकी पत्नी की तबीयत खराब ही होती जा रही थी।जब भी जसविंदर का पिता या जसविंदर की मां जसविंदर को फोन करके कर जल्दी आने के लिए कहते तो जसविंदर अपने नए प्रोजेक्ट के कारण मजबूरी बताता और घर के लिए और इलाज के लिए पैसे भेजता रहता। जसविंदर को इंडिया आए दो साल हो गए थे पर एक रात जसविंदर की मां ना रही जसविंदर को जब इस बारे में पता चलता है तो वह तुरंत फ्लाइट बुक करवा कर इंडिया अपने गांव पहुंच जाता है और मां को देखकर पछतावे के कारण ऊंची ऊंची रोने लगता है और सोचता है कि काश मैं काम को संभालने के साथ-साथ अपने मां-बाप को भी संभाल संभालता ।यह सोचता हुआ अपनी मरी हुई मां का हाथ पकड़ के अपने सिर पर रख लेता है
अनुवाद-लेखिका द्वारा स्वयं