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आसमानी तारे/पंजाबी लघुकथा/रजनी

शहर के एक बड़े बिल्डर सुरजीत ने जब अपने बेटे हरनूर के जन्मदिन पर आईफोन लेकर दिया तब हरनूर अपने दोस्तों को अपना आईफोन दिखाता हुआ एक बड़े रेस्टोरेंट में जन्मदिन की पार्टी देने चला जाता है।पार्किंग के एक तरफ से एक छोटा सा बच्चा मैली कमीज डालें हाथ में गुब्बारे पकड़े हरनूर के आगे भीख मांगता है। हरनूर यह कहकर उस बच्चे को एक एक तरफ कर देता है कि इस समय मेरे पास पैसे छुट्टे नहीं है जब अंदर से खाना खाकर वापस आऊंगा तब दे दूंगा। कुछ देर बाद जब हरनूर रेस्टोरेंट में पार्टी के खर्चे का बिल दे रहा था तब हरनूर की मां का हरनूर की फिक्र करते हुए उसे घर जल्दी आने के लिए फोन आया।हरनूर यह कहता हुआ जल्दी-जल्दी रेस्टोरेंट से बाहर निकलता है की मम्मी जी मैं अब यहां से चल रहा हूं आप ज्यादा फिक्र ना करो। हरनूर फोन जेब में रखें अपनी गाड़ी की तरफ जाता है अचानक उसका ध्यान उसकी गाड़ी के पास बैठे बच्चे पर गया जो कि सो चुका था। जिसको हरनूर ने अंदर जाने से पहले वापिसी पर पैसे देने के लिए बोला था हरनूर अपने झूठे बोलों पर पछतावा करता है। हरनूर उसको जगाता है और उसको अपने जन्मदिन की खुशी पर खरीदी हुई मिठाई में से कुछ मिठाई खाने को देता है वह गरीब बच्चा मिठाई लेकर खुशी-खुशी अंधेरे में अपने घर की तरफ दौड़ पड़ता है हरनूर को ऐसा लगता है जैसे किसी मां बाप की आंखों का तारा रात के अंधेरे में चमकते आसमानी तारों के नीचे खुशी के साथ उड़ता जा रहा हो।

अनुवाद-लेखिका द्वारा स्वयं

लेखक

  • रजनी जन्म-10/07/1979 प्रकाशित पुस्तकें- कूले कंडे 'पंजाबी लघुकथा संग्रह' प्रकाशन- देश-विदेश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ निरन्तर प्रकाशित सम्प्रति- अध्यापन कार्य 'स्नातकोत्तर शिक्षिका पंजाबी भाषा'  

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