बहुत लगन से बोया है मैंने
हमारे रिश्ते का
नन्हा बीज
भरोसे की ज़मीन में ।
समय की खाद ,
सुख के दिनों की रोशनी
और उदासियां भरे तपते दिनों में साथ होने की मीठी फुहार
हमारे रिश्ते के नन्हें दरख़्त को
एक दिन
बना देगी जरूर
घना छायादार वृक्ष ..
जिसके मीठे फल का स्वाद
चखेंगी पीढ़ियां हमारी
तुम देखना
वे देंगी मिसाल हमारे रिश्ते की गहराई का
खाएंगी कसमें
उसी छायादार पेड़ की
अपने डगमगाते रिश्तों को बचाने के लिए ,
मुझे यकीन है
विश्वास की ज़मीन पर पनपा
हमारे रिश्ते की मिठास का
प्रतीक ये छायादार वृक्ष
बचा लेगा
भविष्य में
तमाम रिश्तों को टूटने से …
रिश्ते का मीठा छायादार वृक्ष/कविता/पल्लवी पाण्डेय