23 मार्च/कविता/अवतार सिंह संधू ‘पाश’
उसकी शहादत के बाद बाक़ी लोग किसी दृश्य की तरह बचे ताज़ा मुंदी पलकें देश में सिमटती जा रही झाँकी की देश सारा बच रहा बाक़ी उसके चले जाने के बाद उसकी शहादत के बाद अपने भीतर खुलती खिडकी में लोगों की आवाज़ें जम गयीं उसकी शहादत के बाद देश की सबसे बड़ी […]