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सजनवा बैरी हो गए हमार !/गीत/शैलेन्द्र

सजनवा बैरी हो गए हमार !

जाए बसे परदेस सजनवा, सौतन के भरमाए
न संदेस, न कौनउं ख़बरिया, रुत आए रुत जाए
डूब गए हम बीच भंवर में, करके सोलह पार
करमवा बैरी हो गए हमार !

सूनी सेज, गोद मेरी सूनी, मरम न जाने कोय
छटपट तड़पे प्रीत बेचारी, ममता आँसू रोए
ना कोई इस पार हमारा, ना कोई उस पार
सजनवा बैरी हो गए हमार !

लेखक

  • शंकरदास केसरीलाल शैलेन्द्र (30 अगस्त, 1923-14 दिसंबर 1966) हिन्दी व भोजपुरी के प्रमुख गीतकार थे। उनका जन्म रावलपिंडी में और देहान्त मुम्बई में हुआ। उन्होंने राज कपूर के साथ बहुत काम किया। उन्हें तीन बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला । उनका का एकमात्र काव्य-संगह 'न्यौता और चुनौती' मई 1955 ई. में प्रकाशित हुआ । शैलेन्द्र को फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गए गुलफाम' बहुत पसंद आई। उन्होंने गीतकार के साथ निर्माता बनने की ठानी। राजकपूर और वहीदा रहमान को लेकर 'तीसरी कसम' बनाई।  

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