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मेरा जूता है जापानी/गीत/शैलेन्द्र

मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंगलिस्तानी
सर पे लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी
मेरा जूता…

निकल पड़े हैं खुली सड़क पर
अपना सीना ताने –
मंज़िल कहाँ कहाँ रुकना है
ऊपर वाला जाने –
बढ़ते जायें हम सैलानी, जैसे एक दरिया तूफ़ानी
सर पे लाल…

ऊपर नीचे नीचे ऊपर
लहर चले जीवन की
नादाँ हैं जो बैठ किनारे
पूछें राह वतन की
चलना जीवन की कहानी, रुकना मौत की निशानी
सर पे लाल…

होंगे राजे राजकुँवर हम
बिगड़े दिल शहज़ादे
हम सिंहासन पर जा बैठे
जब जब करें इरादे
सूरत है जानी पहचानी, दुनिया वालों को हैरानी
सर पे लाल…

लेखक

  • शंकरदास केसरीलाल शैलेन्द्र (30 अगस्त, 1923-14 दिसंबर 1966) हिन्दी व भोजपुरी के प्रमुख गीतकार थे। उनका जन्म रावलपिंडी में और देहान्त मुम्बई में हुआ। उन्होंने राज कपूर के साथ बहुत काम किया। उन्हें तीन बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला । उनका का एकमात्र काव्य-संगह 'न्यौता और चुनौती' मई 1955 ई. में प्रकाशित हुआ । शैलेन्द्र को फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गए गुलफाम' बहुत पसंद आई। उन्होंने गीतकार के साथ निर्माता बनने की ठानी। राजकपूर और वहीदा रहमान को लेकर 'तीसरी कसम' बनाई।  

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