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बरसात में हमसे मिले तुम सजन/गीत/शैलेन्द्र

बरसात में हमसे मिले तुम सजन तुमसे मिले हम
बरसात में …

प्रीत ने सिंगार किया, मैं बनी दुल्हन
सपनों की रिमझिम में, नाच उठा मन
मेरा नाच उठा मन
आज मैं तुम्हारी हुई तुम मेरे सनम
तुम मेरे सनम
बरसात में …

नैनों से झांकी जो, मेरी मस्त जवानी
दुनिया से कहती फिरे, दिल की कहानी
मेरे दिल की कहानी
उनकी जो हूँ मैं उनसे कैसी शरम
बरसात में …

ये समाँ है जा रहे हो, कैसे मनाऊँ
मैं तुम्हारी राह में ये, नैन बिछाऊँ
मैं नैन बिछाऊँ
तुम ना जाओ तुमको मेरी जान की क़सम
बरसात में …

देर ना करना कहीं ये, आस छूट जाये
साँस टूट जाये
तुम ना आओ दिल की लगी, मुझको ही जलाये
ख़ाक़ में मिलाये
आग़ की लपटों में पुकारे ये मेरा मन
मिल ना सके हाय मिल ना सके हम

लेखक

  • शंकरदास केसरीलाल शैलेन्द्र (30 अगस्त, 1923-14 दिसंबर 1966) हिन्दी व भोजपुरी के प्रमुख गीतकार थे। उनका जन्म रावलपिंडी में और देहान्त मुम्बई में हुआ। उन्होंने राज कपूर के साथ बहुत काम किया। उन्हें तीन बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला । उनका का एकमात्र काव्य-संगह 'न्यौता और चुनौती' मई 1955 ई. में प्रकाशित हुआ । शैलेन्द्र को फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गए गुलफाम' बहुत पसंद आई। उन्होंने गीतकार के साथ निर्माता बनने की ठानी। राजकपूर और वहीदा रहमान को लेकर 'तीसरी कसम' बनाई।  

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