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नन्हें-मुन्ने बच्चे ! तेरी मुट्ठी में क्या है ?/गीत/शैलेन्द्र

नन्हें-मुन्ने बच्चे ! तेरी मुट्ठी में क्या है ?

मुट्ठी में है तक़दीर हमारी
हमने किस्मत को वश में किया है !

भोली-भाली मतवाली आँखों में क्या है ?

आँखों में झूमे उम्मीदों की दीवाली
आने वाली दुनिया का सपना सजा है !

भीख में जो मोती मिलें, लोगे या न लोगे ?
ज़िन्दगी के आँसुओं का बोलो क्या करोगे ?

भीख में जो मोती मिलें तो भी हम न लेंगे
ज़िन्दगी के आंसुओं की माला पहिनेंगे
मुश्किलों से लड़ते-भिड़ते जीने में मज़ा है !

हमसे न छिपाओ, बच्चों ! हमें तो बताओ
आने वाली दुनिया कैसी होगी समझाओ ?

आने वाली दुनिया में सबके सर पे ताज होगा
न भूखों की भीड़ होगी, न दुखों का राज होगा
बदलेगा ज़माना, ये सितारों पे लिखा है !

नन्हें-मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है ?

मुट्ठी में है तकदीर हमारी
हमने किस्मत को वश में किया है !

लेखक

  • शंकरदास केसरीलाल शैलेन्द्र (30 अगस्त, 1923-14 दिसंबर 1966) हिन्दी व भोजपुरी के प्रमुख गीतकार थे। उनका जन्म रावलपिंडी में और देहान्त मुम्बई में हुआ। उन्होंने राज कपूर के साथ बहुत काम किया। उन्हें तीन बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला । उनका का एकमात्र काव्य-संगह 'न्यौता और चुनौती' मई 1955 ई. में प्रकाशित हुआ । शैलेन्द्र को फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गए गुलफाम' बहुत पसंद आई। उन्होंने गीतकार के साथ निर्माता बनने की ठानी। राजकपूर और वहीदा रहमान को लेकर 'तीसरी कसम' बनाई।  

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