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दिल अपना औ प्रीत पराई/गीत/शैलेन्द्र

दिल अपना औ प्रीत पराई
किस ने है ये रीत बनाई
आँधी में एक दीप जलाया
और पानी में आग लगाई
दिल अपना …

है दर्द ऐसा कि सहना है मुश्किल
दुनिया वालों से कहना है मुश्किल
घिर के आया है तूफ़ान ऐसा
बच के साहिल से रहना है मुश्किल
दिल अपना …

दिल को सम्भाला न दामन बचाया
फैली जब आग तब होश आया
ग़म के मारे पुकारें किसे हम
हम से बिछड़ा हमारा भी साया
दिल अपना …

लेखक

  • शंकरदास केसरीलाल शैलेन्द्र (30 अगस्त, 1923-14 दिसंबर 1966) हिन्दी व भोजपुरी के प्रमुख गीतकार थे। उनका जन्म रावलपिंडी में और देहान्त मुम्बई में हुआ। उन्होंने राज कपूर के साथ बहुत काम किया। उन्हें तीन बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला । उनका का एकमात्र काव्य-संगह 'न्यौता और चुनौती' मई 1955 ई. में प्रकाशित हुआ । शैलेन्द्र को फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गए गुलफाम' बहुत पसंद आई। उन्होंने गीतकार के साथ निर्माता बनने की ठानी। राजकपूर और वहीदा रहमान को लेकर 'तीसरी कसम' बनाई।  

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