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टूटे हुए ख़्वाबों ने/गीत/शैलेन्द्र

टूटे हुए ख़्वाबों ने, हमको ये सिखाया है
दिल ने, दिल ने जिसे पाया था, आँखों ने गंवाया है
टूटे हुए ख़्वाबों ने

हम ढूँढते हैं उनको, जो मिलके नहीं मिलते
रुठे हैं न जाने क्यूँ, मेहमान मेरे दिल के
क्या अपनी तमन्ना थी, क्या सामने आया है
दिल ने, दिल ने …
टूटे हुए …

लौट आई सदा मेरी, टकरा के सितारों से
उजड़ी हुई दुनिया के, सुनसान किनारों से
पर अब ये तड़पना भी, कुछ काम न आया है
दिल ने, दिल ने …
टूटे हुए …

लेखक

  • शंकरदास केसरीलाल शैलेन्द्र (30 अगस्त, 1923-14 दिसंबर 1966) हिन्दी व भोजपुरी के प्रमुख गीतकार थे। उनका जन्म रावलपिंडी में और देहान्त मुम्बई में हुआ। उन्होंने राज कपूर के साथ बहुत काम किया। उन्हें तीन बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला । उनका का एकमात्र काव्य-संगह 'न्यौता और चुनौती' मई 1955 ई. में प्रकाशित हुआ । शैलेन्द्र को फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गए गुलफाम' बहुत पसंद आई। उन्होंने गीतकार के साथ निर्माता बनने की ठानी। राजकपूर और वहीदा रहमान को लेकर 'तीसरी कसम' बनाई।  

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