किसीने अपना बनाके मुझको मुस्कुराना सिखा दिया
अँधेरे घर में किसीने हँसके चराग़ जैसे जला दिया
किसीने अपना बनाके मुझको मुस्कुराना सिखा दियाशरम के मारे मैं कुछ ना बोली
नज़र ने पर्दा गिरा दिया
मगर वो सबकुछ समझ गए हैं, कि दिल भी मैंने गँवा दिया
किसीने अपना बनाके मुझको मुस्कुराना सिखा दियान प्यार देखा, न प्यार जाना
सुनी थीं लेकिन कहानियाँ
जो ख़्वाब रातों में भी न आया, वो मुझको दिन में दिखा दिया
किसीने अपना बनाके मुझको मुस्कुराना सिखा दियावो रंग भरते हैं ज़िंदगी में
बदल रहा है मेरा जहाँ
कोई सितारे लुटा रहा था, किसीने दामन बिछा दिया
किसीने अपना बनाके मुझको मुस्कुराना सिखा दिया
अँधेरे घर में किसीने हँसके चराग़ जैसे जला दिया
किसीने अपना बनाके मुझको मुस्कुराना सिखा दिया/गीत/शैलेन्द्र