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आजा प्रीतम प्यारे/गीत/वसंत जमशेदपुरी

जब-जब मेघ झरे अंबर से झंझा पंथ बुहारे । तब-तब प्रीत-पखेरू बोले आजा प्रीतम प्यारे ।। ठंडी-ठंडी पुरवाई ये तन में अगन लगाए , रिमझिम-रिमझिम मेहा मेरे- मन की प्यास बढा़ए। गरज-तरज तन-मन को पीड़ित- करते घन-कजरारे ।। तपती धरती को अंबर ने हौले से दुलराया , जैसे परदेशी बालम बिन पाती द्वारे आया। और […]

मैं झोली में ले कर आया/गीत/वसंत जमशेदपुरी

मैं झोली में ले कर आया , कुछ मोती कुछ कंकड़-पत्थर। तुमको यदि स्वीकार नहीं तो , और नहीं कुछ इससे बेहतर ।। मैंने वचन दिया था तुमको , गीत तुम्हारे नाम लिखूँगा । जब-जब उगता सूरज देखूँ , दिलबर तुम्हें सलाम लिखूँगा। इसीलिए निकले हैं कैसे- गीत मेरे देखो सज-धज कर।।  गीत तुम्हारे अधरों […]