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चलल लाठी, पूजायल चौरि/आलेख/प्रवीण वशिष्ठ

कुछ आख्यानों और सुनी सुनाई घटनाओं के पीछे लंबा मौखिक इतिहास होता है। ऐसे लोक आख्यानों के बारे में चर्चा- परिचर्चा करना एक प्रासंगिक पहल हो सकता है। कभी-कभी हम किसी समृद्ध परंपरा या लोक मान्यताओं के बारे में पढ़ते हैं तो उसका मज़ाक उड़ाने लगते हैं, लेकिन यथार्थ में उन परंपरा एवं मान्यताओं के […]

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