चक्रव्यूह : कुँवर नारायण
माध्यम वस्तु और वस्तु के बीच भाषा है जो हमें अलग करती है, मेरे और तुम्हारे बीच एक मौन है जो किसी अखंडता में हमको मिलाता है : एक दृष्टि है जो संसार से अलग असंख्य सपनों को झेलती है, एक असन्तुष्ट चेतना है जो आवेश में पागलों की तरह भाषा को वस्तु मान, तोड़-फोड़ […]