सावन ऐसा बरसे/गीत/मनोज जैन
सावन ऐसा बरसे, तन सरसे मन हरसे, सावन ऐसा बरसे। झरर-झरर झर झड़ी लगी है, आँगन- मोती बिखरे। सौंधी गंध उठी माटी से, रूप धरा का निखरे। तड़-तड़ तड़-तड़, गिरे बिजुरिया, काँपें चिड़ियाँ डर से। सावन ऐसा बरसे। मेघ ढमाढम बजे ढोल-से, राग मल्हार सुनाते। हुई लबालब सारी झीलें, पानी-पानी गाते। तट बंधों को तोड़ें […]