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Year: 2025

सावन ऐसा बरसे/गीत/मनोज जैन

सावन ऐसा बरसे, तन सरसे मन हरसे, सावन ऐसा बरसे। झरर-झरर झर झड़ी लगी है, आँगन- मोती बिखरे। सौंधी गंध उठी माटी से, रूप धरा का निखरे। तड़-तड़ तड़-तड़, गिरे बिजुरिया, काँपें चिड़ियाँ डर से। सावन ऐसा बरसे। मेघ ढमाढम बजे ढोल-से, राग मल्हार सुनाते। हुई लबालब सारी झीलें, पानी-पानी गाते। तट बंधों को तोड़ें […]

उगने लगे अखाड़े/गीत/मनोज जैन

चुप्पी ओढ़े रात खड़ी है सन्नाटे दिन बुनता हुआ यंत्रवत यहाँ आदमी नहीं किसी की सुनता सबके पास समय का टोटा किससे ! अपना सुख – दुख  बाँटें दिन पहाड़ से कैसे काटें ! बात-बात में टकराहट है यहाँ नहीं दिल मिलते ताले जड़े हुए होठों पर हाँ ना में सिर हिलते पीढ़ीगत इस अंतराल […]

बम – बम भोले/गीत/मनोज जैन

धूनी रमा प्रेम से बंदे ! बोल जोर से बम – बम भोले । पूँजीपतियों के हाथों की कठपुतली है देश हमारा इनके ही सारे संसाधन आम आदमी है बेचारा निजीकरण में जीवन नैया खाने लगी रोज हिचकोले । सपनों की झाँकी में खुद को राज कुँवर जैसा पाते हैं सपने तो हैं काँच सरीखे […]

बिहारी लाल सोनी/गीत/मनोज जैन

जिंदगी ऐसे जिओ, जी रहे जैसे, बिहारी लाल सोनी। उम्र में छोटा, बड़ा हो, हर किसी को मान देते। जो बुलाए, प्रेम से उसको समय का, दान देते। खिलखिलाने के लिए, सूरत मिली इनको सलोनी। जिंदगी ऐसे जिओ, जी रहे जैसे, बिहारी लाल सोनी। अतिथि के सत्कार में, इनका यहाँ, कोई न सानी। बहुत मीठा […]

स्मृति गीत-तातेड़ जी/गीत/मनोज जैन

याद सबको आ रहे, तातेड़ जी। किंवदंती में, मिलेंगे देखना, बन गए हैं लोक की पावन कथा। व्यक्ति ने, व्यक्तित्व को ऐसे गढ़ा, बन चुके थे एक पूरी संस्था। गीत अभिनव गा रहे, तातेड़ जी। याद सबको आ रहे, तातेड़ जी। वृत्त थे, वह साधना का—केंद्र थे, ठौर थे निश्चित सहज पूरा पता। शब्द स्वर […]

वाल नहीं पढ़ता/गीत/मनोज जैन

सोच रहा क्यों कोई मेरी, वाल नहीं पढ़ता? फोटो तो हर एक देखता, हाल नहीं पढ़ता।          बैठे ठाले मैं एकाकी,          हर कुछ लिखता हूँ।          हूँ मैं ऐसा नहीं तुम्हें मैं,          जैसा दिखता हूँ। समझाया जिस जिसने मुझको, उससे जा […]

पेडों की जयकार/गीत/मनोज जैन

आओ मिलकर सारे बोलें, पेडों की जयकार।        ढल जाते हैं हर मौसम में,        ऋतुओं के अनुकूल।        सहते शीत घाम की बाधा,        देते हैं फल फूल।   वेद-ऋचाओं में ऋषियों ने,   माना है आभार।        मंडराते हैं बादल इनपर,     […]

यश मालवीय/गीत/मनोज जैन

बाद में बातें करूँगा आपसे, मैं अभी यश मालवीय को, पढ़ रहा हूँ। वाल क्या है आईना है, यह समय का, भरा पूरा एक दस्तावेज है। लोकधर्मी चेतना के, साथ में प्रतिरोध का, यह अकेला आधिकारिक पेज है। पेज पढ़ यश मालवीय का, मैं स्वयं को स्वयं में ही, गढ़ रहा हूँ। बाद में बातें […]

आज किसी से /गीत/मनोज जैन

आज किसी से मिलकर यह मन जी भर बतियाया। लगा कि जैसे हमने अपने ईश्वर को पाया। स्वप्न गगन में मन का पंछी, उड़ता चला गया। बतरस के अपनेपन से, मन जुड़ता चला गया। लगा कि जैसे किसी परी ने, गीत नया गाया। एक पहर में,कसम उठा ली, युग जी लेने की। पीड़ा का विष […]

सुख के दिन/गीत/मनोज जैन

सुख के दिन छोटे-छोटे से, दुख के बड़े-बड़े। सबके अपने-अपने सुख हैं, अपने-अपने दुखड़े। फीकी हँसी, हँसा करते हैं, सुन्दर-सुन्दर मुखड़े। रंक बना देते राजा को, दुर्दिन खड़े-खड़े। सुख के दिन छोटे-छोटे से, दुख के बड़े-बड़े। सबकी नियति अलग होती है, दिशा, दशा सब मन की। कोई यहाँ कुबेर किसी को, चिन्ता है बस धन […]