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बरसात के बादल/नवगीत/रवीन्द्र उपाध्याय

छा गये आकाश में
बरसात के बादल !

गरजते , नभ घेरते
ये जलद कजरारे
झूमते ज्यों मत्त कुंजर
क्षितिज के द्वारे
बजा देंगे हर दिशा की
आज ये साँकल !

ग्रीष्मदग्धा धरा का अब
तप फलित होगा
हर्ष से मन खिल उठेगा
तन हरित होगा
थिरकते पग में सजेगी
बूँद की पायल !

लगेंगे फिर बगीचों में
सावनी झूले
मन कहेगा आज बस
आकाश को छू लें
ऊँघती सुधियाँ जगेंगी
मचेगी हलचल !

मन मगन है किसानों का
धान रोपेंगे
संग बिचड़ों के मधुर
अरमान रोपेंगे
गीत उतरेंगे अधर पर
बजेगा मादल !

शिथिल,दुबली-सी नदी में
धार लौटेगी
तट-तरंगों की मधुर
तकरार लौटेगी
उड़ेगा फिर हवा का
भींगा हुआ आँचल !

 

लेखक

  • रवीन्द्र उपाध्याय जन्म- 01.06.1953 विश्वविद्यालय प्राचार्य (से.नि.) विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग, बी. आर. ए. बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर। शिक्षा- एम. ए. (हिन्दी), पी-एच. डी. प्रकाशित कृतियाँ : बीज हूँ मैं (कविता संग्रह), धूप लिखेंगे-छाँह लिखेंगे (गीत-ग़ज़ल संग्रह), देखा है उन्हें (कविता संग्रह) संपर्क : दाऊदपुर कोठी, पत्रालय- एम. आई. टी., मुजफ्फरपुर - 842003 (बिहार) मोबाइल नं.- 8102139125

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