रामू! रामू
हाँ बाबू
मेहमान आयें हैं
मेहमान
अच्छऽ बाबू! कहते हुए
साथ में कुछ कुर्सियाँ
और बिछौना लिए
रामू आता है
करते हुए मेहमानों का अभिवादन
लगाता है कुर्सियाँ और बिछौना
बोलता है
मेहमानों को बैठने के लिए
मेहमान बैठते हैं
रामू अंदर जाता है
लाता है
पानी से भरी गिलासें
प्लेट में खोये से बनी मिठाईयाँ
और टेबल
रखता है मेहमानों के बीच
बाबू बोलते हैं…. (मेहमानों से)
कि सा’ब पानी पीजिए
मेहमान बोलते हैं
कि पहले लड़के को बुलाइए
हम लड़का देखने के बाद ही पानी पियेंगे
अच्छऽ….(बाबू नम्र स्वर में)
लड़का तो यही है…. (बाबू बोलते हैं)
अच्छऽ….(मेहमान बोलते हैं)
तो बेटा आपका नाम क्या है?
शिवचंद (वैसे रामू रामू सब बुलाते हैं)
अच्छऽ
तो बेटा कितने भाई-बहन हो
अकेला हूं
तो बेटा क्या करते हो;किसी जाॅब में हो ?
नही,गृहस्थी का काम-काज देखता हूं और किसानी
अच्छऽ
और कहाँ तक पढ़ाई किये हो बेटा?
आठवीं का नाम सुनते ही
कि उठते हैं शेखी बघारते हुए
बड़े शान से यह कहते हुए मेहमान
कि मेरी बिटिया टीईटी पास है
और चल देते हैं
रौब झाड़ते हुए
किसी दूसरे लड़के की तलाश में
रामू मुंह ताकता खड़ा रहा बाबू का
और बाबू सोचते हुए कि काश! रामू को पढ़ाया होता