कुण्डलियां/नारि-सशक्तिकरण /दिनेश चन्द्र गुप्ता ‘रविकर’
बिटिया पापड़ बेल के, करे कढ़ाई साफ। बेटा गुलछर्रे उड़ा, सोये ओढ़ लिहाफ। सोये ओढ़ लिहाफ, दुलारा बेटा माँ का। सर्विस वाली देख, भिड़ाता रविकर टाका। करवाती यह काम, खड़ी कर देती खटिया। नारि नारि में फर्क, सास की शातिर बिटिया ।। पैरों पर होना खड़ी, सीखो सखी जरुर । आये जब आपद-विपद, होना मत […]