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Year: 2023

रानी नागफनी की कहानी भाग1/हरिशंकर परसाई

यह एक व्यंग्य कथा है। ‘फेंटजी’ के माध्यम से मैंने आज की वास्तविकता के कुछ पहलुओं की आलोचना की है। ‘फेंटेजी’ का माध्यम कुछ सुविधाओं के कारण चुना है। लोक-मानस से परंपरागत संगति के कारण ‘फेंटेजी’ की व्यंजना प्रभावकारी होती है इसमें स्वतंत्रता भी काफी होती है और कार्यकारण संबंध का शिकंजा ढीला होता है। […]

रानी नागफनी की कहानी भाग2/हरिशंकर परसाई

होना बीमार और लगना पेनिसिलिन अस्तभान अब रात-दिन नागफनी के चित्रों को देखता रहता और ‘हाय ! हाय !’ करता रहता । प्रेम की पीड़ा से आठों पहर तड़पता रहता। उसकी यह हालत देखकर मुफतलाल घबड़ाया और एक नामी डॉक्टर को बुला लाया । डॉक्टर स्टेथिस्कोप की माला पहने अस्तभान के पलंग के पास बैठ […]

सूरज का सातवाँ घोड़ा/धर्मवीर भारती

एक नए ढंग का लघु उपन्यास आगे बढ़ो, सूर्योदय रुका हुआ है! सूरज को मुक्त करो ताकि संसार में प्रकाश हो, देखो उसके रथ का चक्र कीचड़ में फँस गया है आगे बढ़ो साथियो! सूरज के लिए यह संभव नहीं कि वो अकेले उदित हो सके घुटने जमा कर, सीना अड़ा कर उसके रथ को […]

गुनाहों का देवता भाग1/धर्मवीर भारती

अगर पुराने जमाने की नगर-देवता की और ग्राम-देवता की कल्पनाएँ आज भी मान्य होतीं तो मैं कहता कि इलाहाबाद का नगर-देवता जरूर कोई रोमैण्टिक कलाकार है। ऐसा लगता है कि इस शहर की बनावट, गठन, जिंदगी और रहन-सहन में कोई बँधे-बँधाये नियम नहीं, कहीं कोई कसाव नहीं, हर जगह एक स्वच्छन्द खुलाव, एक बिखरी हुई-सी […]

गुनाहों का देवता भाग2/धर्मवीर भारती

”अबकी जाड़े में तुम्हारा ब्याह होगा तो आखिर हम लोग नयी-नयी चीज का इन्तजाम करें न। अब डॉक्टर हुए, अब डॉक्टरनी आएँगी!” सुधा बोली। खैर, बहुत मनाने-बहलाने-फुसलाने पर सुधा मिठाई मँगवाने को राजी हुई। जब नौकर मिठाई लेने चला गया तो चन्दर ने चारों ओर देखकर पूछा, ”कहाँ गयी बिनती? उसे भी बुलाओ कि अकेले-अकेले […]

गुनाहों का देवता भाग3/धर्मवीर भारती

आज कितने दिनों बाद तुम्हें खत लिखने का मौका मिल रहा है। सोचा था, बिनती के ब्याह के महीने-भर पहले गाँव आ जाऊँगी तो एक दिन के लिए तुम्हें आकर देख जाऊँगी। लेकिन इरादे इरादे हैं और जिंदगी जिंदगी। अब सुधा अपने जेठ और सास के लड़के की गुलाम है। ब्याह के दूसरे दिन ही […]

नदी प्यासी थी/धर्मवीर भारती

पात्र परिचय राजेश: शर्मा शंकर: दत्त डॉ. कृष्‍णस्‍वरूप कक्कड़ पद्मा: शीला: घटना-काल सन 1949 की बरसात प्रथम दृश्‍य एक कमरा जो स्‍पष्‍टत किसी लड़की का मालूम पड़ता है क्‍योंकि स्‍वच्‍छ है किन्‍तु सुरुचिविहीन है। सामान बड़ी तरतीब से लगा है पर उस तरतीब से नहीं जिससे कलाभवन में चित्र लगे रहते हैं, बल्कि वैसे जैसे […]

अंधा युग/धर्मवीर भारती

पात्र अश्वत्थामा, गान्धारी, विदुर, धृतराष्ट्र, युधिष्ठिर, कृतवर्मा, कृपाचार्य, संजय, युयुत्सु, वृद्ध याचक, गूँगा भिखारी, प्रहरी 1, प्रहरी 2, व्यास, बलराम, कृष्ण घटना–काल महाभारत के अट्ठारहवें दिन की संध्या से लेकर प्रभास-तीर्थ में कृष्ण की मृत्यु के क्षण तक। स्थापना [नेपथ्य से उद्घोषणा तथा मंच पर नर्त्तक के द्वारा उपयुक्त भावनाट्य का प्रदर्शन। शंख-ध्वनि के साथ […]

मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय/धर्मवीर भारती

अगस्त १९८९, बचने की उम्मीद नहीं थी। तीन-तीन ज़बर्दस्त हार्ट अटैक, एक के बाद एक। एक तो ऐसा कि नब्ज़ बन्द, सांस बन्द, धड़कन बंद। डाक्टरों ने घोषित कर दिया कि अब प्राण नहीं रहे। पर डॉ. बोर्जेस ने फिर भी हिम्मत नहीं हारी थीं। उन्होंने १०० वाल्ट्स के शाक्स दिए, भयानक प्रयोग। लेकिन वे बोले […]

काले मेघा पानी दे/धर्मवीर भारती

उन लोगों के दो नाम थे – इंदर सेना या मेढक-मंडली | बिल्कुल एक दूसरे के विपरीत | जो लोग उनके नग्नस्वरूप शरीर, उनकी उछलकूद, उनके शोर-शराबे और उनके कारण गली में होने वाले कीचड़ काँदो से चिढ़ते थे, वे उन्हें कहते थे मेंढक-मंडली | उनकी अगवानी गलियों से होती थी | वे होते थे […]