गीत-फ़रोश (काव्य संग्रह)/भवानी प्रसाद मिश्र
कवि क़लम अपनी साध, और मन की बात बिलकुल ठीक कह एकाध ये कि तेरी-भर न हो तो कह, और बहते बने सादे ढंग से तो बह। जिस तरह हम बोलते हैं, उस तरह तू लिख, और इसके बाद भी हमसे बड़ा तू दिख। चीज़ ऐसी दे कि स्वाद सर चढ़ जाए बीज ऐसा बो […]