खेद के साथ कविता का लौटना/गोविंद पाल
संपादक को भेजी हुई कविता खेद के साथ जब जब लौट आई तब तब मैं भी लौट आया अंधेरों से उजाले में, शायद मेरे जैसे किसी कवि का कविता गढ़ना जैसे पत्थरों को तराशते हुए शिल्पकार की एक गलत चोट से अधगढ़े शिल्प का टूट कर बिखर जाना, इसी तरह कविता का लौटना और मेरा […]