गुरुकुल/मैथिलीशरण गुप्त
1. गुरु नानक मिल सकता है किसी जाति को आत्मबोध से ही चैतन्य ; नानक-सा उद्बोधक पाकर हुआ पंचनद पुनरपि धन्य । साधे सिख गुरुओं ने अपने दोनों लोक सहज-सज्ञान; वर्त्तमान के साथ सुधी जन करते हैं भावी का ध्यान । हुआ उचित ही वेदीकुल में प्रथम प्रतिष्टित गुरु का वंश; निश्चय नानक में विशेष […]