पिरामिण की हँसी/धर्मवीर भारती
वह कला के प्रति जीवन का पहला विद्रोह था। मिस्र के राजदूत ने घूम-घूमकर देश- देश में घोषणा की – “मिस्र की राजकुमारी कला को कृत्रिम और नश्वर समझती है । उसके मत में जीवन की यथार्थ बाह्य रूपरेखा कला से अधिक महत्वपूर्ण है। उसका विश्वास है कि कल्पना के सुकुमार उपासक, कलाकार जीवन का […]