लखनवी अंदाज/यशपाल
मुफ़स्सिल की पैसेंजर ट्रेन चल पड़ने की उतावली में फूंकार रही थी. आराम से सेकंड क्लास में जाने के लिए दाम अधिक लगते हैं. दूर तो जाना नहीं था. भीड़ से बचकर, एकांत में नई कहानी के संबंध में सोच सकने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देख सकने के लिए टिकट सेकंड क्लास का ही […]