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हम/अनिता रश्मि

वह जो खेतों में
बड़ी हसरतों से
छींट रहा है बीज
कर रहा बुआई है
अपनी आस की गठरी
अपने पिचके पेट पर बाँधे हुए
उस अँकुराती फसल को सहेजता
पालता बढ़ाता वह
एक उम्मीद के सहारे है
हमारी उदर पूर्ति में है
उसकी भूख और पेट भरने का
अनोखा हिसाब-किताब
खेतों के पैर भारी होते ही
यह उम्मीद उसकी आँखों को
रौशन कर डालती है
बादल के, वर्षा के डरावने रूप को
धत्ता बता
हमारी भूख मिटाते-मिटाते
वह पूरा मिट जाता है
और हम दो-दो रुपये के
गणित में उलझ
उससे उलझ पड़ते हैं
उसके बहुमूल्य श्रम को नकार ।

लेखक

  • अनिता रश्मि मूलतः कथाकार। दो उपन्यास सहित चौदह किताबें। चार सौ से अधिक विविधवर्णी रचनाएँ प्रमुख राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित। अद्यतन : हंस सत्ता विमर्श और दलित विशेषांक के पुस्तक रूप में एक कहानी "मिरग मरीचा" परिकथा द्वारा सत्ताईस कहानियां पुस्तक में कहानी "संकल्प" "सरई के फूल", "हवा का झोंका थी वह" कथा संग्रह, "रास्ते बंद नहीं होते" लघुकथा संग्रह। संपादन: डायमंड बुक्स कथामाला के अंतर्गत झारखंड की 21 नारी मन की कहानियां। अनेक प्रतिष्ठित सम्मान, पुरस्कार। इस वर्ष पांच सम्मान। शोध में रचनाएं शामिल। संपर्क : 1 सी, डी ब्लाॅक, सत्यभामा ग्रैंड, कुसई, डोरंडा, राँची, झारखण्ड -834002

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