+91-9997111311,    support@sahityaratan.com

ये खिलाड़ी लड़कियांँ/अनिता रश्मि

गाय-भैंसिया, बकरी
जंगल में चराते-चराते
धींगा-मुश्ती करते अभाव से
न जाने कब सीख जातीं
हाॅकी खेलना,
मारना किक गेंद को,
कुश्ती लड़ना या
उछाल देना आकाश में
एक अबूझ सपना
मैदान मार लेने का
ओलंपिक का ताज
जीत लेने का सपना।
आम-इमली पर
साधते हुए निशाना
थाम लेतीं हैं
बिरसा का तीर-धनुष
न जाने कब, कैसे वह
बन जाती है
सोमराय, दीपिका,
कोमलिका, निक्की
या फिर
क्षीणकाय चंचला
हराती हुईं दुनिया भर को।

लेखक

  • अनिता रश्मि मूलतः कथाकार। दो उपन्यास सहित चौदह किताबें। चार सौ से अधिक विविधवर्णी रचनाएँ प्रमुख राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित। अद्यतन : हंस सत्ता विमर्श और दलित विशेषांक के पुस्तक रूप में एक कहानी "मिरग मरीचा" परिकथा द्वारा सत्ताईस कहानियां पुस्तक में कहानी "संकल्प" "सरई के फूल", "हवा का झोंका थी वह" कथा संग्रह, "रास्ते बंद नहीं होते" लघुकथा संग्रह। संपादन: डायमंड बुक्स कथामाला के अंतर्गत झारखंड की 21 नारी मन की कहानियां। अनेक प्रतिष्ठित सम्मान, पुरस्कार। इस वर्ष पांच सम्मान। शोध में रचनाएं शामिल। संपर्क : 1 सी, डी ब्लाॅक, सत्यभामा ग्रैंड, कुसई, डोरंडा, राँची, झारखण्ड -834002

    View all posts
ये खिलाड़ी लड़कियांँ/अनिता रश्मि

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

×