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उर्वशी/रामधारी सिंह दिनकर

पात्र परिचय पुरुष पुरुरवा: वेदकालीन, प्रतिष्ठानपुर के विक्रमी ऐल राजा, नायक महर्षि च्यवन: प्रसिद्द; भृगुवंशी, वेदकालीन महर्षि सूत्रधार: नाटक का शास्त्रीय आयोजक, अनिवार्य पात्र कंचुकी: सभासद: प्रतिहारी: प्रारब्ध आदि आयु: पुरुरवा-उर्वशी का पुत्र महामात्य: पुरुरवा के मुख्य सचिव विश्व्मना: राज ज्योतिषी नारी नटी: शास्त्रीय पात्री, सूत्रधार की पत्नी सहजन्या, रम्भा, मेनका, चित्रलेखा: अप्सराएं औशीनरी: पुरुरवा […]

रश्मिरथी सर्ग-1-7/रामधारी सिंह दिनकर

प्रथम सर्ग ‘जय हो’ जग में जले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को, जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को। किसी वृन्त पर खिले विपिन में, पर, नमस्य है फूल, सुधी खोजते नहीं, गुणों का आदि, शक्ति का मूल। ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है, दया-धर्म जिसमें हो, […]

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