वक्त जो बीत जाता है
वापस वो आता नहीं ।
इन्तजार करते हम वक्त का,
वक्त करता हमारा नहीं।
आज अगर समय मेरा है
तो कल तुम्हारा होगा
अगर ये मेहरबां है तुम पर
तो रोशन तेरा सितारा होगा।
वक्त को कौन जान पाया है
कौन इसे बाँध पाया है।
इसने कभी राजा को रंक
कभी रंक को राजा बनाया है।
जो करना है आज में कर लो
कल को किसने जाना है।
समझे हैं जो वक्त की कीमत
जीवन उसने पहचाना है।
काश! वो गुजरे सुहाने पल
फिर से हमें मिल पाते
जी लेते हसीं लम्हों को फिर से
कभी हाथ से न जाने पाते ।
पर ये समय है मेरे ए दोस्त!
गया तो फिर न आएगा।
कितना भी हम इसे पुकारें
सद़ा ये सुन न पाएगा ।
समय की जो कद्र करते
सुअवसर उनके साथ हैं ।
जो अनदेखी वक्त की करते
फिर मलते हाथ हैं।
वक्त/दया शर्मा