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बचपन/दया शर्मा

बचपन के वो हसीन पल
क्षण क्षण क्यों  जाते हैं  ढल।
ऐ दिल ! फिर  वहीं  पे चल
वो मौसम  क्यों  गया  बदल ।
कभी हँसना, कभी  रोना
कभी  रूँठना तो कभी  मनाना ।
वो पेड़ों पे चढ कर गिरना
चोरी से फलों का खाना।
वो कागज की नाव बनाना
कभी  हवाई जहाज  चलाना
खो खो ,कब्बडी का खेला
लगता  था हम बच्चों  का मेला  ।
न भूख प्यास की चिन्ता ,
न किसी  चीज  का गम  ।
रहते मस्त सदा हमसाथियों के  संग  ।
छोटी छोटी  चीज़ों में हमेशा
मन जाता था तब हमारा रम ।
काश ! वो दिन फिर  मिल पाते
खुशियों के फूल  फिर खिल जाते  ।
ज़िंदगी  को सरस ही पाते
उलझनों से तनिक  न घबराते ।
चलो, लौट  चलें फिर उस  बचपन  में
ईर्ष्या- द्वेष न रहें  जहां  मन में।
भावना  अच्छी  हो , मन सच्चा  हो
 उम्र चाहे जो भी  हो पर मन बच्चा हो ।

लेखक

  • दया शर्मा जन्म स्थल- पंजाब कर्मस्थल - इम्फाल (मणिपुर) में मैं पली बढ़ी,शिक्षा ग्रहण की और कुछ समय तक इम्फाल AIR में casual announcer के तौर पर कार्यरत रही । शादी के बाद Shillong ही मेरा कर्मस्थल बना । शिक्षा-स्नातक (B.A.) रुचि- लेखन (कविताएं , कहानियाँ, आलेख आदि)स॔गीत , अनेक गृहकार्यों में रूचि, समाजिक संस्थाओं में गतिविधि । प्रकाशन एवम् उपलब्धियां- अनेक कविताएं ,कहानियाँ व आलेख अखबार एवम् पत्र -पत्रिकाओं में प्रकाशित । साझा संकलन पुस्तकों में कहानियाँ , कविताएं एवं लघुकथाएं प्रकाशित। दूरदर्शन एवम् रेडियो स्टेशन पर समय-समय पर कहानी कविताएं, व विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम देना। उपलब्धियां- द्वितीय अखिल भारतीय सारस्वत सम्मान समारोह में 'काव्य भूषण' से सम्मानित। पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी डाॅ महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान से सम्मानित। Shubham Charitable Association से Certificate Of Appreciation से नवाजा गया। शहर समता विचार मंच (प्रयागराज) से एकल सुन्दर काव्य पाठ के लिए दो बार सम्मानित किया गया इसके अलावा और भी कई सम्मान मिल चुके हैं।

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