माँ/दया शर्मा
चूल्हे पे खाना बनाती थी, भर पेट सबको खिलाती थी , कभी स्वयं भूखी रह जाती थी । अपना दुख-दर्द छुपाती थी पर संस्कार का दीप जलाती थी, वो माँ हमारी कहलाती थी । पैसों की रहती तंगी थी , पापा के काम में मंदी थी । माँ शिकवा न कभी करती थी, थोड़े में […]