+91-9997111311,    support@sahityaratan.com

चींटी और हाथी/भाऊराव महंत

आओ बच्चों तुम्हें बताऊँ,
एक समय की बात।
चींटी से हाथी ने बोला-
‘क्या तेरी औकात।।’
‘मैं तो हाथी बहुत बड़ा हूँ,
तू नन्ही-सी जान।
मेरी एक फूँक से तेरे,
उड़ जाएँगे प्राण।’
इस पर चींटी चिंतित होकर,
रहने लगी उदास।
और सोचने लगी बहुत है,
ताकत उसके पास।
कैसे उसको सबक सिखाऊँ,
दूँ मैं कैसे दंड।
जिससे हाथी में ताकत का,
जाए टूट घमंड।
बहुत सोचने पर चींटी को,
सूझा एक उपाय।
और पहुँच फिर गई जहाँ था,
हाथी का समुदाय।।
देख घमंडी हाथी को वह,
गई उसी के पास।
चींटी के आने का उसको,
हुआ नहीं आभास।
मौका पाकर शीघ्र शुण्ड में,
उसके किया प्रवेश।
और काटने से हाथी का,
लगी बढ़ाने क्लेश।।
पीड़ा के कारण हाथी का,
बड़ा बुरा था हाल।
आ पहुँचे उसकी आँखों में,
आँसू भी तत्काल।
बार-बार पीड़ा के कारण,
लगा हिलाने शुण्ड।
उसे तड़पता देख बहुत ही,
घबराया था झुण्ड।।
तभी शुण्ड से बाहर निकली,
छोटी चींटी एक।
बड़े अचंभित हुए देखकर,
हाथी उसे अनेक।।
तब हाथी से बोली चींटी-
‘करना नहीं घमंड।
वरना छोटी-सी होकर भी,
दूँगी तुझको दंड।’
चींटी की बातें सुन हाथी,
हुआ शर्म से लाल।
अपनी ताकत की घमंड को,
छोड़ दिया तत्काल।।

लेखक

  • भाऊराव महंत ग्राम बटरमारा, पोस्ट खारा जिला बालाघाट, मध्यप्रदेश पिन - 481226 मो. 9407307482

    View all posts
चींटी और हाथी/भाऊराव महंत

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

×