आज का ज़माना तो बदल ही रहा है, अपने हिसाब से,
लेकिन लोगों के भाव बदल रहे हैं, वक़्त के हिसाब से,
दोस्त, नातेदार, भाई, सब के सब रिश्ते हैं बस नाम के,
अबके जो बनायें रिश्ते, बहुत सोच समझकर हिसाब से,
आजकल के लोग अगर किसी से बात भी करते हैं तो,
वो भी करते हैं, वो अपनी-अपनी जरुरत के हिसाब से,
सबका मिलना-जुलना भी अब तो हो गया है बहुत कम,
आज रिश्ते निभाए भी जाते हैं, तो हैसियत के हिसाब से,
यहाँ आजकल कोई नहीं है, किसी को अपना कहने वाला,
कोई किसी को अपना समझे भी तो आख़िर किस हिसाब से,
वक़्त आज बुरा है तो बुरा सही, कल अच्छा भी आएगा,
हर आदमी को फल मिलता है, उसके कर्मों के हिसाब से,
हिसाब से/जेवेंद्र जेठवानी