कठिनाईयाँ हैं बहुत,
है पथरीला रास्ता,
तू थककर यूँ न बैठ,
है तुझको रब का वास्ता,
चुनौतियाँ का तो काम है,
वो आती ही जाएँगी,
मंज़िल को तेरी वो,
और भी कठिन बनाएँगी,
“बलशाली” है तू बहुत,
इस बात को तू जान ले,
तू झुका सकता है,
इस आसमाँ को भी,
ग़र तू जो इक बार ठान ले,
कठिनाईयाँ हैं बहुत,
है पथरीला रास्ता,
तू थककर यूँ न बैठ,
है तुझको रब का वास्ता,
सामर्थ्य है, तुझमें प्रबल,
तू कदम बढ़ाए जा,
इस सुन्दर जहान को,
तू अपनी ख़ुश्बू से महकाए जा,
प्रतिभा तू अपनी,
इस दुनिया को दिखलाये जा,
प्रगति के इस क्षेत्र में,
इतिहास तू बनाये जा,
ये जहान, तेरे ही,
और तेरे ही गीत जाएगा,
फ़लक तक तू ही तू,
बस तू ही तू छाएगा,
सामर्थ्य है, तुझमें प्रबल,
तू कदम बढ़ाए जा,
इस सुन्दर जहान को,
तू अपनी ख़ुश्बू से महकाए जा…!!!,
तू थक्कर यूँ न बैठ/देवेंद्र जेठवानी