+91-9997111311,    support@sahityaratan.com

कम हो गया है/देवेंद्र जेठवानी

दफ़्तर वाला काम मेरे पास, आजकल कम हो गया है, मेरा यश, मेरा नाम, आजकल कम हो गया है, मेरी जेब में रूपया-पैसा, आजकल कम हो गया है, यार, दोस्तों से बोलचाल, आजकल कम हो गया है, विजेताओं में मेरा नाम, आजकल कम हो गया है, मिलने वाला मान-सम्मान, आजकल कम हो गया है, मेरी […]

है वो फूल जैसी कोमल/देवेंद्र जेठवानी

है वो फूल जैसी कोमल, बेहद ख़ूबसूरत और महकदाऱ, कि, हम तो सोच भी नहीं सकते, कि यहाँ तो हजारों कतार में हैं, हम जैसे हैं कई, जो हैं उनकी क़ातिल अदाओं से घायल, लेकिन फ़िर भी उनके दीदार-ए-हुस्न के इंतज़ार में हैं, इक अरसे से लगे हैं जितने भी, हैं वो पूरी शिद्दत लिये […]

चिंगारी बन गई है आग/देवेंद्र जेठवानी

चिंगारी बन गई है आग, फ़िर भी कहीं कोई धुँआ ही नहीं है, लगी है ये आग कैसी कि, उठा कहीं कोई धुँआ ही नहीं है, जलकर खाक हो गई मिल्क़ियत सारी, बचा कुछ भी नहीं, फ़िर भी कुछ रायचंदों की मानें तो ख़ास कुछ हुआ ही नहीं है पानी की प्यास बुझाने को तो, […]

मेरी माँ/देवेंद्र जेठवानी

वो लगाकर मुझको गले, मेरी सारी नज़र उतार देती थी, दुनिया के बाकी सारे रिश्ते थे मतलबी, माँ बस इक तू ही तो निस्वार्थ प्यार देती थी, वो चूमकर मेरा माथा, मेरी सोई हुई किस्मत सुधार देती थी, वो दुनिया भर की असीम खुशियाँ, मुझपर वार देती थी, जब भी कभी मायूस होता था कभी, […]

हिसाब से/जेवेंद्र जेठवानी

आज का ज़माना तो बदल ही रहा है, अपने हिसाब से, लेकिन लोगों के भाव बदल रहे हैं, वक़्त के हिसाब से, दोस्त, नातेदार, भाई, सब के सब रिश्ते हैं बस नाम के, अबके जो बनायें रिश्ते, बहुत सोच समझकर हिसाब से, आजकल के लोग अगर किसी से बात भी करते हैं तो, वो भी […]

सुविधा में हैं, दुविधा में हैं/देवेंद्र जेठवानी

भ्रष्टाचार करने वाले सब नेता, बेशुमार सुविधा में हैं, चोर-उचक्के, घोटालेबाज, सब के सब सुविधा में हैं, जो झूठ बोले, चमचागिरी करें, वो भरपूर सुविधा में हैं, जो मुँह पर सच्ची बात कहें, हर वो शख़्स दुविधा में है, दावत जिसे खाने को मिले स्वादिष्ट, वो मेहमान सुविधा में हैं, जिसके हों 10-12 साले-साली, वो […]

अब तो न नींद और न ही चैन है/देवेंद्र जेठवानी

अब तो न नींद और न ही चैन है, दीदार को तेरे तरस गए, ये नैन हैं, वो पक्षियों का चहचहाना, वो भवरों का मंडराना, अब कुछ नहीं रहा, तेरे चले जाने के बाद, सुनहरी धूप के साथ सूरज का निकलना, मधुर आवाज़ में कोयल का गाना, पत्तों का जोश के साथ तड़तड़ाना, अब कुछ […]

अब जूता मेरा, मेरे बेटे के पैर में आने लगा/देवेंद्र जेठवानी

अब जूता मेरा, मेरे बेटे के पैर में आने लगा” अब जूता मेरा, मेरे बेटे के पैर में आने लगा,          अब हर बात पर, वो मुझे समझाने लगा, ईमानदारी से जिया जीवन, न किया कभी दगा,         सबको समझा अपना, क्या पराया, क्या सगा, कल तक जो जान था, घर की,             अब वो सबको सताने लगा, […]

तू थक्कर यूँ न बैठ/देवेंद्र जेठवानी

कठिनाईयाँ हैं बहुत, है पथरीला रास्ता, तू थककर यूँ न बैठ, है तुझको रब का वास्ता, चुनौतियाँ का तो काम है, वो आती ही जाएँगी, मंज़िल को तेरी वो, और भी कठिन बनाएँगी, “बलशाली” है तू बहुत, इस बात को तू जान ले, तू झुका सकता है, इस आसमाँ को भी, ग़र तू जो इक […]

जीवन चक्र/देवेंद्र जेठवानी

छूट जाएगी सब यहीं नौकरी-चाकरी, ख़त्म यहीं सब व्यापार होगा, शमशान ही होगा अंतिम मंज़िल तेरी, बस मृत्यु ही जीवन का सार होगा, तेरा ये रुतबा, तेरी ये सारी रसूखदारी, बाक़ी न ही कोई भंडार होगा, टूटेगी जब ये साँसों की माला, इसका फ़िर न कोई उपचार होगा, यही होता आया है, यही होता आएगा, […]

×