चित्तौरगढ़-वर्णन-खंड-46 पद्मावत/जायसी
जेवाँ साह जो भएउ बिहाना । गढ़ देखै गवना सुलताना ॥ कवँल-सहाय सूर सँग लीन्हा । राघव चेतन आगे कीन्हा ॥ ततखन आइ बिवाँन पहूँचा । मन तें अधिक, गगन तें ऊँचा ॥ उघरी पवँरि, चला सुलतानू । जानहु चला गगन कहँ भानू ॥ पवँरी सात, सात खँड बाँके । सातौ खंड गाढ़ दुइ नाके […]