नागमती-पद्मावती-विवाद-खंड-36 पद्मावत/जायसी
जाही जूही तेहि फुलवारी । देखि रहस रहि सकी न बारी ॥ दूतिन्ह बात न हिये समानी । पदमावति पहँ कहा सो आनी ॥ नागमती है आपनि बारी । भँवर मिला रस करै धमारी ॥ सखी साथ सब रहसहिं कूदहिं । औ सिंगार-हार सब गूँथहिं ॥ तुम जो बकावरि तुम्ह सौं भर ना । बकुचन […]