वृक्षारोपण अभियान जोर शोर से चल रहा था । हाल ही में पार्षद बनी बिंद्येश्वरी देवी टीवी रिपोर्टरों और संवाददाताओं को काँख में दबाए अतिशय ऊर्जा से इस अभियान में भाग ले रहीं थी । आजकल वो हर चैनल और अखबार की खबर थीं । आज भी साढे़ बारह बजे कृष्ण नगर कॉलोनी में एक कार्यक्रम रखा गया था जिसका उद्घाटन मंत्री जी करने वाले थे जिसमें प्रदेश के विधायक भी सम्मिलित हो रहे थे । बिंद्येश्वरी देवी सुबह से ही झूम रही थी । आज का कार्यक्रम भविष्य की नयी संभावनाओं को जन्म देने वाला था । बारह बजने वाले थे और उसे निकलना था । इतने में फोन और द्वार की घंटी,दोनों एक साथ बजी । सामने की बैठक का पर्दा खींच कर पहरेदार अंदर आया ।
‘जी?’ । बिंद्येश्वरी ने रिसीवर उठाया ।
‘मैडम आज साढ़े बारह बजे… वृक्षारोपण कार्यक्रम … आपकी उपस्थिति कितनी अनिवार्य है आप को पता है’।
‘हाँ…हाँ…बाकी सब तैयारियाँ हो गईं…न्यूज कवरेज…”?
“जी…सब तैयार” । फोन कट गया ।
‘राम सिंह… क्या हुआ? वह राम सिंह की ओर मुखातिब हुई।
‘मैडम… मोहल्ले वाले आपसे मिलने को वास्ते आया” ।
“ओह! बुलाओ” । इससे पहले रामसिंह बाहर जाता, तीन चार आदमी तेजी से अंदर बैठक में चले आए।
“ ये…ये…क्या हो रहा है? आप अच्छी तरह जानती है आपकी नाक के नीचे गली में इतने पुराने घने वृक्ष की कटाई हो रही है और आप ऐसे घिनौने कार्य को समर्थन दे रही है?” अंदर घुसते ही कोपाविष्ट मिस्टर राजमणि दहाड़े । ।
“ यह उन बंगले वालों का निजी मामला है । और आप भी जानते है हमारे सामने कितनी गंभीर समस्याएं है । उस पेड़ से उनकी चारदीवारी कमजोर हो जाएगी इसीलिए वे काट रहे हैं” ।
“ निजी मामला ? नगर निगम का लगाया दस साल पुराना पेड़ है वह । कितना घना छायादार । उनकी आज बनी कोठी की शान में आड़े आया और काट दिया?निजी मामला” । वसंत जी तैश में आकर बोले ।
“ देखिए हमारा समय कीमती है”। उसकी आवाज में लापरवाही थी और आँखें …आँखें घडी की सुइयों पर ।
“ओह हाँ …और उसकी कीमत बंगले वाले जानते है” ।
“क्या बकवास कर रहे है?”उसकी त्योरियाँ चढ़ गईं।
“अच्छा … बंगले वाले कुछ भी करेंगे और आप समर्थन देंगी ? आपका मौन ही उनकी हिम्मत बन गया है ।वृक्षों को काटना तो सामाजिक अपराध है, अवैध है ” । मिश्रा जी ताव में आकर बोले । “हम शिकायत करेंगे । चुप नहीं रहेंगे” । वे कई सालों से इस गली में रह रहे थे । उस पेड़ को फलते देख चुके थे । आज उसे गिरते देखकर उन्हें बहुत तकलीफ हो रही थी ।
“ देखिए बेकार का ड्रामा मत कीजिए । क्या आप लोगों के घरों में लकड़ी की मेज ,अलमारी और कुर्सियाँ नहीं है? क्या खाने की मेज पर खाना नहीं खाते? चलिए मैं आपकी समस्या की किसी और दिन चर्चा करूँगी । हम एसोसिएशन की मीटिंग रखेंगे और भविष्य में ऐसी समस्याओं का समाधान ढूँढेंगे । खैर… आज मुझे बहुत ही महत्वपूर्ण कार्यक्रम में उपस्थित होना है । कृपया आज्ञा दीजिए” । बिंद्येश्वरी देवी ने सर झटक कर वक्र स्मित से रामसिंह को इशारा किया और अंदर चली गई ।
टन्न…टन्न….टन्न्न्न……अब तो घड़ी ने भी बारह बजा दिए।
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