देख मेरी बहन ने मुझे चाँदी की राखी बाँधी और तू दिखा न अपनी राखी?
मदन ने जैसे ही राघव का हाथ देखना चाहा, राघव ने अपना हाथ पीछे कर,छुपा लिया।रक्षाबंधन की शाम को बाग़ीचे में इकट्ठे हुए बच्चों की बात सुनकर बेंच पर बैठे वृद्ध ने उन्हें अपने पास बुला कर पूछा, हम रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाते हैं, कौन बताएगा?
राघव ने धीरे से कहा, मैं बताऊँ।हाँ ज़रूर पर,पहले मदन बताएगा, उसकी राखी चाँदी की है न इसलिए।
मदन ने ख़ुश होते हुए कहा, हाँ मुझे मालूम है, “इस दिन सब बहनों को राखी बाँधने पर गिफ़्ट मिलता है और हम सब मिलकर मॉल जाते हैं,बाहर खाना खाते हैं, मूवी देखते हैं, मस्ती करते हैं और हाँ किसकी राखी सबसे सुंदर है यह भी देखते हैं।”
मदन की आँखों में चमक थी, कि उसने सही उत्तर दिया।
अब तुम बोलो राघव, वृद्ध ने सकुचाए से खड़े राघव से कहा।
“दादी कहती हैं कि,रक्षा बंधन का त्यौहार भाई-बहन के प्यार व भाइयों द्वारा बहनों की रक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहनें, भाइयों को राखी बाँधती हैं और उन्हें मिठाइयाँ खिलाती हैं। वहीं, भाई इस दिन बहनों की रक्षा का वचन देते हैं।महँगी राखी खरीदने मना करती हैं, कहती हैं रक्षा सूत्र स्टेटस सिंबल नहीं होता, पवित्र धागा होता है – द्रौपदी के आँचल के टुकड़े जैसा, जिसने कृष्ण जी की घायल उँगली पर बँधकर सदा-सदा के लिए रक्षा कवच ले लिया था।”
वृद्ध ने राघव के सर पर आशीर्वाद का हाथ फेरा और मदन से पूछा, क्या तुम यह सब जानते थे, जो राघव ने बताया।
मदन ने न में सिर हिला दिया और दूसरे बच्चों की राखी देखने के लिए दौड़ गया।
राघव तुम्हारी दादी बिल्कुल ठीक कहती हैं, त्यौहारों को स्टेटस सिंबल नहीं होना चाहिए।
शुचि 'भवि'
पिता - डॉ.त्रिलोकी नाथ क्षत्रिय
माता-श्रीमती सुदेश क्षत्रिय
जन्मतिथि- 24 नवंबर
शिक्षा - एम.एस. सी.(इलेक्ट्रॉनिक्स, गोल्डमेडलिस्ट),
एम. ए. ( हिंदी), बी.एड.
सम्प्रति - अध्यापन,डिपार्टमेंट हेड(फ़िज़िक्स)
प्रकाशित कृतियाँ -
'मेरे मन का गीत' (ओ३म् दोहा चालीसा), 'बाँहों में आकाश' (दोहा सतसई), "सबसे अच्छा काल" (बाल दोहा शतक), "ख़्वाबों की ख़ुश्बू" (काव्य संग्रह), "आर्यकुलम् की नींव"(महर्षि दयानंद दोहा शतक), "मसाफ़त-ए-ख़्वाहिशात" (ग़ज़ल संग्रह), "सबमें हैं जगदीश" ( नानक चालीसा), " ज़र्द पत्ते और हवा" (लघुकथा संग्रह), "हेतवी" (उपन्यास), छंद फ़ुलवारी(छंद संग्रह)
अन्य प्रकाशन विवरण:-
(i) 'दोहा एकादशी', 'दोहा दुनिया', दोहा मंथन, 'विविध प्रसंग',101 महिला ग़ज़लकार,इक्कीसवीं सदी के इक्कीसवें साल की बेहतरीन ग़ज़लें,कथांजली व बूँद-बूँद में सागर (लघुकथा संग्रह), शेषामृत(गीत संग्रह), 21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियाँ(छत्तीसगढ़)व अन्य साझा संकलन
(ii)चश्म-ए-उर्दू,हरिगंधा,अदबी दहलीज़,अर्बाबे क़लम, गीत गागर, छत्तीसगढ़ मित्र, छत्तीसगढ़ आस पास, नारी का सम्बल, काव्यांजलि,आदि पत्रिकाओं सहित अनेक समाचार पत्रों एवं ई-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन
सम्मान / पुरस्कार (i) शारदा साहित्य मंच खटीमा(उत्तराखंड) द्वारा प्रदत्त- "दोहा-शिरोमणि" की मानद उपाधि
(ii) दोहा दंगल साहित्य मंच(साहिबाबाद) द्वारा प्रदत-"दोहा रत्न" की मानद उपाधि
(iii) विश्व वाणी हिन्दी संस्थान जबलपुर द्वारा 'दोहा श्री' अलंकरण
(iv) छन्द-मुक्त अभिव्यक्ति मंच द्वारा "गुरुत्व" एवं "शब्द श्री" सम्मान
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